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सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

तू ही संगिनी बने, हर जनम में मेरी....

तू ही ज़िन्दगी मेरी , तू ही बंदगी मेरी....
इश्क भी है तू, तू है संगिनी मेरी...
तेरे इश्क और हुस्न से, हो के हम रूबरू....
दिल की घंटिया बजी , संग तेरे घुँघरू....

अब नहीं कोई फरमाईश , उस खुदा से मेरी...
साथ जो दे दिया  है , उसने अब तेरी...
बस रहे अब ये साथ ,युहीं जन्मो जनम..
तू ही संगिनी बने, हर जनम में मेरी....

बुधवार, 28 सितंबर 2011

मान बैठा हूँ खुदा ,उसको ,जो "पिता" है मेरा.......

ऊँगली पकड़ कर जिसकी, मैंने चलना सीखा.....
हाथ पकड़ कर जिसकी, गिर कर सम्हलना सीखा....

वो जो छोटी छोटी बातों पर भी,मेरी पीठ थपथपाता था...
वो जो खुद धूप में खड़ा हो कर भी , मुझे गोदी में उठाता था....

वो जिसने मेरी आँखों से देखे थे , अपने सपने...
वो जो दुखी हो कर भी , मेरे लिए मुस्कराता था.....
वो जो मेरी एक आवाज़ सुन कर, बस खुश हो जाता था....
                                   
वो जो रात भर जगता था ,जिससे नीद बस आ जाये मुझको.....
वो जो खुद पसीने में नहा, मुझ पर पंखा हिलाता था....

ये खुदा तू मुझको अब ये माफ़ी दे दे...
मान बैठा हूँ खुदा ,उसको ,जो "पिता" है मेरा....
ज़िन्दगी दे कर,जिसने जीना भी सिखलाया मुझको......

शनिवार, 6 अगस्त 2011

सोच रहा था कुछ लिखूं …..पर क्या लिखूं ….??

सोच  रहा था  कुछ  लिखूं …..पर  क्या  लिखूं ….??

क्या  इस  मौसम  की  बहार  पर  लिखूं …
या  इन  मच्छरों के  प्रहार  पर  लिखूं …

या  ये  लिखूं  की  ,नीद कम  आती  है  आज  कल ..
कि  बेचैन  रह  रह  कर  ,नीद  खुल  जाती  है  पल  पल …

या  इस  देश  की  बेहालियत  पर  कुछ  लिखूं …
या  देश  के  इन  भ्रष्ट कर्मचारियों पर कुछ लिखूं ..

या ये लिखूं की एक गांधी आया है फिर से , अपने वतन में …
देखो कैसे ललकारे जा रहा है , वो सबको इस समर में..

या ये लिखूं की कैसा हो गया है , आज का अपना जहां..
क्यों दूसरो के गम में , ग़मगीन होता नहीं समां …

फिर सोच के एक पल, कलम रुक सी गयी मेरी ….
याद कर उनको एक पल आँख नाम हो  गयी  मेरी …

दूर  है  जो  घर  से  अपने  ,त्याग  कर  खुशियाँ सभी …
ये  हिंद  के  जवान ,करते  है  तुझको  हम  नमन  सभी ..

जय  हिंद  जय  भारत …...

रविवार, 15 मई 2011

पीछे मुड कर देखूं ,सोचूँ .....

ज़िन्दगी का एक और साल....
ख़त्म हो गया है फिलहाल.....
कुछ गम के झरोके , कुछ खुशियों के पल....
कुछ सिखा गया ये जीने की चाल...

पीछे मुड कर देखूं ,सोचूँ ....
क्या खोया और क्या मैंने पाया...
जो सपने देखे थे मैंने ...
क्या उनको पूरा कर पाया....

कुछ तो सीखा है मैंने ..
व्यर्थ नहीं गया ये साल..
कुछ तो पाया है मैंने...
जीने का अर्थ , समझा गया ये साल...

शुक्रवार, 13 मई 2011

मैं क्या हूँ ,क्यों हूँ , क्या करना है मुझे...

मैं क्या हूँ ,क्यों हूँ , क्या करना है मुझे...
इस जीवन की उलझन में ,क्यों उलझा हूँ मैं...
क्यों दिखती नहीं मंजिल ,या रहे गुज़र...
क्यों लगती है मुश्किल , जीने की ये डगर.....

गुरुवार, 5 मई 2011

एक फरमाईश हमने भी की थी...........

घर से निकलते हुए....
एक ख्वाहिश हमने भी की थी.....

अपनों से बिछड़ते हुए....
एक फरमाईश हमने भी की थी.....

दिल के पन्नो पर यूँ लिख कर अपने ज़ज्बात...
तेरी आशिक़ी की चाहत हमने भी की थी.....

ना हो कभी हम फिर से यूँ जुदा....
उस खुदा से ये गुज़ारिश हमने भी की थी...

सोचा न था आ जायेगा ये मोड़....
यूँ दामन छुड़ा जाने की साजिश , हमने न की थी........

सोमवार, 2 मई 2011

जिनसे तेरी ये जीवन डोर बधी है..........

जाने कैसे ये Race लगी है......
दौड़ रहा हर एक आदमी ........
सबको होना है , सबसे आगे...
ये देखो कैसी प्रीत लगी है...

एक बार है मिली ये ज़िन्दगी...
ना मिलने वाली है ये दुबारा...
फिर क्यों जीता है ऐसे तू...
पैसे के पीछे फिरता है मारा...

खाली हाथ आये थे बन्धु...
चले जाना है खाली हाथ...
जी लो संग कुछ पल खुशियों के...
जिनसे तेरी ये जीवन डोर बधी है.........

हर रोने वाले को हसने का एक बहाना मिल जाये.......

हर डूबने वाले को , एक तिनके का सहारा मिल जाये......
हर कश्ती को , उसका किनारा मिल जाये....

कर जाना तुम ,बस कुछ ऐसी एक ख़ता ....
हर रोने वाले को हसने का एक बहाना मिल जाये.......

रविवार, 1 मई 2011

ग़ालिब से उसकी ग़ज़ल छीन ली......

ग़ालिब से उसकी ग़ज़ल छीन ली...
राझां से उसकी हीर छीन ली...
ये दुनिया है दोस्तों ज़ालिम बड़ी...
इसने जीने की हमसे वजह छीन ली.......

जब होता है ये एहसास , की दूर आ गए हैं हम......

वक़्त का पहिया यूँ निकल जाता है ..
अपनों का दामन यूँ छूट जाता है..
जब होता है ये एहसास , की दूर आ गए हैं हम...
तब तलक , पीछे जाने का रास्ता ही टूट जाता है.....

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

दिखला देंगे हम इस दुनिया को , की भारत में क्या बात है .......

जंग अभी ख़तम न हुई ,ये तो बस शुरुवात है
होगा जब सुबह सुनहरी ,ये उसके पहले की रात है
जो राह दिखाई आना जी ने , वो राह पर चलना है हम सबको
दिखला देंगे हम इस दुनिया को , की भारत में क्या बात है .......

गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

हम चले तो हिंदुस्तान चले........

एक है गाँधी का भक्त वो ,लड़ रहा है सबके लिए
क्या हम भी जागेंगे अब, संग खड़े हो उसके लिए
जान भी जाये भी अब तो ,अब और न सह पाएंगे
देश अपना है बचाना ,हम वतन पर मिट जायेंगे
जागो अब ये हिन्दुस्तानी , अब दिख्वाओ अपनी जवानी
एक बूढा ललकार रहा है ,दे रहा है अपनी वो कुरबानी
अब नहीं जागे अगर हम , ख़त्म हो जायेगा अपना चमन
चाट जायेंगे ये दीमक , मिट जायेगा अपना वतन
अब नहीं चलने ये वाला ,की कुछ नहीं हो पायेगा
जब मिलेंगे ये हाथ सब ,तब कोई न टिक पायगा...........

सोमवार, 21 मार्च 2011

भांग कि चख लो तुम एक गोली ,,बुरा ना मानो होली आई ........


होली आई होली आई ,,देखो संग अपने कितने रंग है लायी 
घोझिया , पापड़ और मिठाई , क्या क्या ये पकवान भी लायी 
रंग लगा लो तुम भी थोडा , खेल के सबके संग तुम होली
भांग कि चख लो तुम एक  गोली ,,बुरा ना मानो होली आई ....

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

ज़िन्दगी के पन्नों पर लिखी एक कहानी जैसी ........


ज़िन्दगी के पन्नों पर लिखी एक कहानी जैसे...
कुछ खट्टे ,कुछ मीठे पलो की जुबानी जैसे  ...

यादें हैं कुछ जो हँसा जाती है हमे...
कुछ ऐसे भी हैं जो आँखें नम कर जाती है जैसे ...

वक़्त जैसे थम सा गया हो ,
लगती है कल की हो वो बाते जैसे ..

हस लेते थे जब यूँ ही छोटी छोटी बातों पर ,
ज़िन्दगी थी परियों की कहानी जैसे ..........

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

वक़्त के पन्नों पर लिख कर यादें , स्याह से रंग दी वो मुलाकाते ...


वक़्त के पन्नों पर लिख कर यादें  , स्याह से रंग दी वो मुलाकाते .....
बंद कर ली है अब तो मुट्ठी  , गिरने न देंगे वो सौगातें..........

राह नयी खोजी है हमने  , चलने लगे हम यूँ मुस्काते 
याद की कुछ चंद तितलिया , संग उड़ रही आते जाते ........

महक आ रही भीनी भीनी , जैसे हो रही हो बरसाते..
भीग गया है अब तो मन भी , पंख लगा उड़ते ही जाते ........

रविवार, 30 जनवरी 2011

नाचे मयूरा जंगल में जैसे.......

राहो में चलते काफिलो के जैसे 
आसमां में उड़ते बादलो के जैसे
मैं भी अब चाहूँ आशना एक नया 
समंदर में उठते उन लहरों के जैसे .......... 


रौशनी सूरज की आती है जैसे 
चादनी चंदा की फैलती है जैसे
मैं भी चाहूँ दामन में हो अब खुशियाँ
खुशबू फूलों की फैली हो जैसे ...........


बारिश की बूदें गिरती है जैसे
वो लहरा के सावन आता है जैसे
मैं भी अब चाहूँ झूमूँ मैं ऐसे
नाचे मयूरा जंगल में जैसे.......

मंगलवार, 11 जनवरी 2011

शवेत शवेत सी उजली चादर , जैसे उसने फैलाई खुद आ कर......

शवेत शवेत सी उजली चादर , जैसे उसने फैलाई खुद आ कर
बर्फ गिर रहे ऐसे जैसे , हो शवेत सी वो एक झाझर
देख प्रकति की ये अब लीला , करने लगे देखो हम भी  क्रीड़ा
खेल रहे हैं बर्फ के गोले से , नहीं दे रहे वो कुछ पीड़ा.....

शनिवार, 8 जनवरी 2011

हसने की तो तुम बात ना करना , हम तो रोना भी भूल गए.....

सबकी सुनते सुनते ,करना क्या था वो ही भूल गए
जिनमे खुशियाँ थी मेरी , उनकी ही पीछे हम छोड़ गए

क्यों आया हूँ मैं इस धरती पर , क्या करने को भेजा है उसने
उसको जाने बिना ही हम , बस ज़िन्दगी की पटरी पर दौड़ गए

हसने की तो तुम बात ना करना , हम तो रोना भी भूल गए
चले रौशनी करने जब हम तो , अपने ही घर को भूल गए.........

शनिवार, 1 जनवरी 2011

आ जाऊ मिल के हम मनाये , नया वर्ष , लिए नए सपने.........

नए वर्ष में नए सपने , और संग में हो सब अपने
ना हो कोई दुःख ,ना कोई गम ,खुशियाँ ही हो बस संग अपने

इर्ष्या ,द्येष को तज कर  , बाटे बस हम , सबको प्यार अपने
आ जाऊ मिल के हम मनाये , नया वर्ष , लिए नए सपने.........