राहो में चलते काफिलो के जैसे
आसमां में उड़ते बादलो के जैसे
मैं भी अब चाहूँ आशना एक नया
समंदर में उठते उन लहरों के जैसे ..........
रौशनी सूरज की आती है जैसे
चादनी चंदा की फैलती है जैसे
मैं भी चाहूँ दामन में हो अब खुशियाँ
खुशबू फूलों की फैली हो जैसे ...........
बारिश की बूदें गिरती है जैसे
वो लहरा के सावन आता है जैसे
मैं भी अब चाहूँ झूमूँ मैं ऐसे
नाचे मयूरा जंगल में जैसे.......
रविवार, 30 जनवरी 2011
मंगलवार, 11 जनवरी 2011
शवेत शवेत सी उजली चादर , जैसे उसने फैलाई खुद आ कर......
शवेत शवेत सी उजली चादर , जैसे उसने फैलाई खुद आ कर
बर्फ गिर रहे ऐसे जैसे , हो शवेत सी वो एक झाझर
देख प्रकति की ये अब लीला , करने लगे देखो हम भी क्रीड़ा
खेल रहे हैं बर्फ के गोले से , नहीं दे रहे वो कुछ पीड़ा.....
बर्फ गिर रहे ऐसे जैसे , हो शवेत सी वो एक झाझर
देख प्रकति की ये अब लीला , करने लगे देखो हम भी क्रीड़ा
खेल रहे हैं बर्फ के गोले से , नहीं दे रहे वो कुछ पीड़ा.....
शनिवार, 8 जनवरी 2011
हसने की तो तुम बात ना करना , हम तो रोना भी भूल गए.....
सबकी सुनते सुनते ,करना क्या था वो ही भूल गए
जिनमे खुशियाँ थी मेरी , उनकी ही पीछे हम छोड़ गए
क्यों आया हूँ मैं इस धरती पर , क्या करने को भेजा है उसने
उसको जाने बिना ही हम , बस ज़िन्दगी की पटरी पर दौड़ गए
हसने की तो तुम बात ना करना , हम तो रोना भी भूल गए
चले रौशनी करने जब हम तो , अपने ही घर को भूल गए.........
जिनमे खुशियाँ थी मेरी , उनकी ही पीछे हम छोड़ गए
क्यों आया हूँ मैं इस धरती पर , क्या करने को भेजा है उसने
उसको जाने बिना ही हम , बस ज़िन्दगी की पटरी पर दौड़ गए
हसने की तो तुम बात ना करना , हम तो रोना भी भूल गए
चले रौशनी करने जब हम तो , अपने ही घर को भूल गए.........
शनिवार, 1 जनवरी 2011
आ जाऊ मिल के हम मनाये , नया वर्ष , लिए नए सपने.........
नए वर्ष में नए सपने , और संग में हो सब अपने
ना हो कोई दुःख ,ना कोई गम ,खुशियाँ ही हो बस संग अपने
इर्ष्या ,द्येष को तज कर , बाटे बस हम , सबको प्यार अपने
आ जाऊ मिल के हम मनाये , नया वर्ष , लिए नए सपने.........
ना हो कोई दुःख ,ना कोई गम ,खुशियाँ ही हो बस संग अपने
इर्ष्या ,द्येष को तज कर , बाटे बस हम , सबको प्यार अपने
आ जाऊ मिल के हम मनाये , नया वर्ष , लिए नए सपने.........
सदस्यता लें
संदेश (Atom)