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शनिवार, 6 अगस्त 2011

सोच रहा था कुछ लिखूं …..पर क्या लिखूं ….??

सोच  रहा था  कुछ  लिखूं …..पर  क्या  लिखूं ….??

क्या  इस  मौसम  की  बहार  पर  लिखूं …
या  इन  मच्छरों के  प्रहार  पर  लिखूं …

या  ये  लिखूं  की  ,नीद कम  आती  है  आज  कल ..
कि  बेचैन  रह  रह  कर  ,नीद  खुल  जाती  है  पल  पल …

या  इस  देश  की  बेहालियत  पर  कुछ  लिखूं …
या  देश  के  इन  भ्रष्ट कर्मचारियों पर कुछ लिखूं ..

या ये लिखूं की एक गांधी आया है फिर से , अपने वतन में …
देखो कैसे ललकारे जा रहा है , वो सबको इस समर में..

या ये लिखूं की कैसा हो गया है , आज का अपना जहां..
क्यों दूसरो के गम में , ग़मगीन होता नहीं समां …

फिर सोच के एक पल, कलम रुक सी गयी मेरी ….
याद कर उनको एक पल आँख नाम हो  गयी  मेरी …

दूर  है  जो  घर  से  अपने  ,त्याग  कर  खुशियाँ सभी …
ये  हिंद  के  जवान ,करते  है  तुझको  हम  नमन  सभी ..

जय  हिंद  जय  भारत …...

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