सोच रहा था कुछ लिखूं …..पर क्या लिखूं ….??
क्या इस मौसम की बहार पर लिखूं …
या इन मच्छरों के प्रहार पर लिखूं …
या ये लिखूं की ,नीद कम आती है आज कल ..
कि बेचैन रह रह कर ,नीद खुल जाती है पल पल …
या इस देश की बेहालियत पर कुछ लिखूं …
या देश के इन भ्रष्ट कर्मचारियों पर कुछ लिखूं ..
या ये लिखूं की एक गांधी आया है फिर से , अपने वतन में …
देखो कैसे ललकारे जा रहा है , वो सबको इस समर में..
या ये लिखूं की कैसा हो गया है , आज का अपना जहां..
क्यों दूसरो के गम में , ग़मगीन होता नहीं समां …
फिर सोच के एक पल, कलम रुक सी गयी मेरी ….
याद कर उनको एक पल आँख नाम हो गयी मेरी …
दूर है जो घर से अपने ,त्याग कर खुशियाँ सभी …
ये हिंद के जवान ,करते है तुझको हम नमन सभी ..
जय हिंद जय भारत …...
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