देश की मिटटी बुलाये , वास्ता दे कर हमे
कह रहा है अब तो बाबुल , भूल न जाना हमे ||
घर का आँगन भी है सूना , राह देखे , दिन रात वो
सोच कर , की एक दिन , लौट कर आएगा वो |
कर ख़तम विरानियत को , फिर से खुशियाँ लायेगा वो
बस न जाना तू यहाँ अब , जी न पायेंगे बिछड़ के वो |
लौट जा तू उस बगीचे में ,बागवान है, जिसके तेरे वो
उठ न पाएंगे कभी वो , टूटे जो गम में तेरे वो ||
अब तो बस ,उनका दिल ये बोले , लौट आ , तू अब लौट आ .....................
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें