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सोमवार, 6 दिसंबर 2010

घर आ जा परदेशी तुझे देश बुलाये रे...........


देश की मिटटी बुलाये , वास्ता दे कर हमे 
कह रहा है अब तो बाबुल , भूल न जाना हमे  ||

घर का आँगन भी है सूना , राह देखे , दिन रात वो
सोच कर , की एक दिन , लौट कर आएगा वो  |

कर ख़तम विरानियत को , फिर से खुशियाँ लायेगा वो
बस न जाना तू यहाँ अब , जी न पायेंगे बिछड़ के वो |

लौट जा तू उस बगीचे में ,बागवान है, जिसके तेरे वो 
उठ न पाएंगे कभी वो , टूटे जो गम में तेरे वो  ||

अब तो बस ,उनका दिल ये बोले , लौट आ , तू अब लौट आ .....................



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