सबकी सुनते सुनते ,करना क्या था वो ही भूल गए
जिनमे खुशियाँ थी मेरी , उनकी ही पीछे हम छोड़ गए
क्यों आया हूँ मैं इस धरती पर , क्या करने को भेजा है उसने
उसको जाने बिना ही हम , बस ज़िन्दगी की पटरी पर दौड़ गए
हसने की तो तुम बात ना करना , हम तो रोना भी भूल गए
चले रौशनी करने जब हम तो , अपने ही घर को भूल गए.........
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