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रविवार, 1 मई 2011

ग़ालिब से उसकी ग़ज़ल छीन ली......

ग़ालिब से उसकी ग़ज़ल छीन ली...
राझां से उसकी हीर छीन ली...
ये दुनिया है दोस्तों ज़ालिम बड़ी...
इसने जीने की हमसे वजह छीन ली.......

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