तू ही ज़िन्दगी मेरी , तू ही बंदगी मेरी....
इश्क भी है तू, तू है संगिनी मेरी...
तेरे इश्क और हुस्न से, हो के हम रूबरू....
दिल की घंटिया बजी , संग तेरे घुँघरू....
अब नहीं कोई फरमाईश , उस खुदा से मेरी...
साथ जो दे दिया है , उसने अब तेरी...
बस रहे अब ये साथ ,युहीं जन्मो जनम..
तू ही संगिनी बने, हर जनम में मेरी....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें