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सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

तू ही संगिनी बने, हर जनम में मेरी....

तू ही ज़िन्दगी मेरी , तू ही बंदगी मेरी....
इश्क भी है तू, तू है संगिनी मेरी...
तेरे इश्क और हुस्न से, हो के हम रूबरू....
दिल की घंटिया बजी , संग तेरे घुँघरू....

अब नहीं कोई फरमाईश , उस खुदा से मेरी...
साथ जो दे दिया  है , उसने अब तेरी...
बस रहे अब ये साथ ,युहीं जन्मो जनम..
तू ही संगिनी बने, हर जनम में मेरी....

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