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मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

वक़्त के पन्नों पर लिख कर यादें , स्याह से रंग दी वो मुलाकाते ...


वक़्त के पन्नों पर लिख कर यादें  , स्याह से रंग दी वो मुलाकाते .....
बंद कर ली है अब तो मुट्ठी  , गिरने न देंगे वो सौगातें..........

राह नयी खोजी है हमने  , चलने लगे हम यूँ मुस्काते 
याद की कुछ चंद तितलिया , संग उड़ रही आते जाते ........

महक आ रही भीनी भीनी , जैसे हो रही हो बरसाते..
भीग गया है अब तो मन भी , पंख लगा उड़ते ही जाते ........

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