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गुरुवार, 25 नवंबर 2010

ये मेरा वतन है ,ये मेरा चमन ....

ज़िन्दगी क्या है?? क्या सोचा है कभी?ये ख्याल आया है जेहन में ,मेरे अभी
लड़ते झगड़ते हैं हम युहीं यही, पैसा पैसा करने में लगे हैं सभी 
ना देश के लिय कुछ करने का जुनून , ना देना क़ुरबानी किसी के लिए कभी
कहते है कुछ ना होगा इस देश का कभी, पर करते है क्या, कुछ हम भी कभी?
हो गया है क्यों मतलबी, यहाँ हर कोई, जीता है बस खुद के लिए वो अभी
कभी तो एक पल उनको भी दो, जिनका नहीं है संग में अपना कोई 
क्यों जीतना बस चाहे, हर कोई बस अभी, हारने का मज़ा भी तो ले लो तुम कभी
ज़रूरी नहीं की जो रहा गया तेरे पीछे, काबिलयित की उसमे कोई है कमी 
जीतेगा एक दिन वो भी कभी,पर मौका तो दो उसको भी सभी
करना कुछ चाहो गर सच में कभी,देना तुम मुस्कान एक चेहरे पे युहीं
फैलाव अब यूँ तुम ज्ञान की लहर,भागे अशिक्षा के सारे प्रहर
न सोये कोई भूखा ,न हो कोई अनाथ ,न छीने किसी से किसी का कोई घर
आओं हम मिल कर अब दे ये वचन ,मिल कर बनाएँगे एक सुनहरा वतन
देखे थे जो सो सपने शहीदों ने कभी, पूरा करेंगे उसे ,मिल कर हम सभी 
होगा ये गुलिस्ता , बस खुशियों का चमन 
ये मेरा वतन है ,ये मेरा चमन ...............

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