पलछिन , एक चिन्ह , एक गहराई जैसे....
वो है मेरी बस , एक परछाई जैसे...
हँसती है वो ऐसे, हँसा जाती है हमे...
यूँ देख कर एक नज़र , गुद गुदा जाती है हमे...
उस खुदा की रहमत से , मिले है हम तुम...
इक प्रेम की डोर से , बधे हैं हम तुम...
संग है अपना ,अब जन्मो जनम...
श्वेता और गौरव में लगी, प्रेम लगन...
वो है मेरी बस , एक परछाई जैसे...
हँसती है वो ऐसे, हँसा जाती है हमे...
यूँ देख कर एक नज़र , गुद गुदा जाती है हमे...
उस खुदा की रहमत से , मिले है हम तुम...
इक प्रेम की डोर से , बधे हैं हम तुम...
संग है अपना ,अब जन्मो जनम...
श्वेता और गौरव में लगी, प्रेम लगन...
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