ये दोस्त.......
ये दोस्त .... तू कहाँ गुमशुदा है....?
ये दोस्त ..... तू कहाँ गुमशुदा है....?
ये दोस्त , तू क्या खुद से ही छुपा है......?
याद है तुझे वो दिन क्या ?
जब दिन रात साथ घूमा करते थे हम ?
लॉप स्टॉप की सीढ़ियों पे बैठ....
टाइम पास किया करते थे हम.......
जेब थी छोटी मगर , पर दिल शायद बड़ा था....
हर एक दिन कोई न कोई एक शख्स , खुद से बिल देने के लिए खड़ा था......
वो १०० रुपये की कुछ दस, बारह पत्तियां......
जो पापा भिजवाते थे........
दी है उसने, वो सारी खुशियां ........
लगती कितनी बेशकीमती अब वो......
To Be Continued........