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बुधवार, 28 सितंबर 2011

मान बैठा हूँ खुदा ,उसको ,जो "पिता" है मेरा.......

ऊँगली पकड़ कर जिसकी, मैंने चलना सीखा.....
हाथ पकड़ कर जिसकी, गिर कर सम्हलना सीखा....

वो जो छोटी छोटी बातों पर भी,मेरी पीठ थपथपाता था...
वो जो खुद धूप में खड़ा हो कर भी , मुझे गोदी में उठाता था....

वो जिसने मेरी आँखों से देखे थे , अपने सपने...
वो जो दुखी हो कर भी , मेरे लिए मुस्कराता था.....
वो जो मेरी एक आवाज़ सुन कर, बस खुश हो जाता था....
                                   
वो जो रात भर जगता था ,जिससे नीद बस आ जाये मुझको.....
वो जो खुद पसीने में नहा, मुझ पर पंखा हिलाता था....

ये खुदा तू मुझको अब ये माफ़ी दे दे...
मान बैठा हूँ खुदा ,उसको ,जो "पिता" है मेरा....
ज़िन्दगी दे कर,जिसने जीना भी सिखलाया मुझको......