पृष्ठ

बुधवार, 24 नवंबर 2010

भूल जा मुस्करा ......

रह जाये गर दर्द दिल में तेरे , सपने बिखर गए गर टूट के तेरे.
रुकने न देना वहीँ कदमो को तेरे, आगे बढ़ जाना ये भाई मेरे.
आएगी फिर सुबह इन अंधेरो के बाद ,धड्केगा दिल तेरा यूँ रुकने के बाद.
जीना है फिर से ज़िन्दगी नयी,करनी है पूरी तुझको ख्वाहिशे तेरी.
हो जा तू तयार ले कर एक नयी उमंग ,उड़ने दे तू अब अपने ज़िन्दगी की पतंग

होगा ज़माना तेरे कदमो तले,खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी तेरे संग......... 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें